सावधान : सायबर कैफे मैं कम्प्यूटर प्रयोग करने से पहले ध्यान दें
साईबर कैफे मे जाकर अपने बैक या अन्य किसी अकाउन्ट को खोलने से पहले सर्तक हो जाये कही आपका यह कदम आपके अकाउन्ट तथा आपकी अन्य जानकारीया तो लीक नही कर रहा है
यदि कभी भी आपको इस कार्य हेतु किसी दूसरी जगह पर किसी अन्य कम्प्यूटर का प्रयोग करने की आवश्यकता पडे तो कृपया ध्यान रखे की कहीं जिस कम्प्यूटर का आप प्रयोग कर रहे है उसके सीपीयू मे चित्रानुसार काली रंग की पिन तो नही लगी है वास्तव मे यह काली पिन मे एक कनेक्शन है जो उस कम्प्यूटर के सभी डाटा को सेव करता है जो आप उसमे डालते है आप किसी भी पासवर्ड डाटा जो भी इस कम्प्यूटर मे डालेगे उसको यह रिकार्ड कर लेता है अत जब भी किसी अन्य कम्प्यूटर का प्रयोग किया जाये तो इसका ध्यान जरूर रखा जाये । विस्तृत जानकारी के लिए आगे पढ़ें .........
तस्वीरों में गोले में घिरा यह पिन कनेक्शन के रूप में काम करता है, जो कि आपके द्वारा उस दौरान किए जाने वाले सारे प्रोसेस और डाटा को सेव कर लेता है। यहां तक कि यह पिन आपके पासवर्ड, बैंकिंग या अन्य सभी डाटा को भी हैक कर लेता है।
तस्वीरों में गोले में घिरा यह पिन कनेक्शन के रूप में काम करता है, जो कि आपके द्वारा उस दौरान किए जाने वाले सारे प्रोसेस और डाटा को सेव कर लेता है। यहां तक कि यह पिन आपके पासवर्ड, बैंकिंग या अन्य सभी डाटा को भी हैक कर लेता है।
यह गैजेट टूल इंटरनेट यूजर्स द्वारा कम्प्यूटर पर किये जाने वाले हर प्रोसेस को रिकॉर्ड करने का काम करता है। ऐसे में हर इंटरनेट यूजर को पब्लिक कम्प्यूटर इस्तेमाल करते समय यह सबसे पहले देख लेना चाहिए कि सिस्टम में हार्डवेयर किलौगर न लगा हो। इस गैजेट से आपकी प्राइवेसी को सबसे ज्यादा नुकसान है।
तकनीक के बाजार में 3 तरह के हार्डवेयर किलौगर मौजूद हैं। इनमें पहला पीएस 2 है। दूसरा यूएसबी किलौगर और तीसरा वाईफाई की मदद से चलने वाला वाईफाई यूएसबी किलौगर। सिस्टम में इन तीनों में से एक डिवाइस भी लगे होने पर आपका सारा डाटा ऑटोमेटिक सेव होता जायेगा
ई-मेल से लेकर चैट रूम, इंस्टेंट मैसेज, वेबसाइट एड्रेस, सर्च इंजन और बाकी सभी इंटरनेट से जुड़ी प्रक्रियाओं तक इस डिवाइस की पहुंच है। दूसरे शब्दों में कहें तो हार्डवेयर किलौगर इन सबको ट्रेस करता रहता है।
अगर कोई इस डिवाइस की मदद से आपका डाटा चुराना चाहे तो इसके लिए उसे अलग से कोई सॉफ्टवेयर भी इंस्टॉल नहीं करना होगा। इसे सीपीयू में लगाने के बाद से ही ये की-बोर्ड पर हुए सारे प्रेस को ट्रेस कर लेता है फिर चाहे वो सिस्टम ऑन होने पर दबाई गई हों या फिर ऑपरेटिंग सिस्टम के लोड होने पर।
किसी भी ऑपरेटिंग सिस्टम पर आसानी से चलने वाले कीलौगर केवल अल्फाबेड या न्यूमेरिक बटन को ही ट्रेस नहीं करता है, बल्कि इसकी मदद से हैकर कंट्रोल+सी, कंट्रोल+एफ और कंट्रोल+ऑल्ट+डिलीट जैसे ऑप्शन के लिए दबाए गए बटन को भी सेव कर सकता है।
किलौगर को रिमोट इंस्टाल भी किया जा सकता है। साथ ही कम्प्यूटर पर एंटी वायरस होने पर भी इसे पकड़ा नहीं जा सकता है। यह डिवाइस सिस्टम के ऑन होते ही ऑटोमेटिक काम करना शुरू कर देता है।
यूजर्स की सावधानी ही हैकिंग के मामले में खतरनाक माने जाने वाले इस डिवाइस से बचने का तरीका है। पब्लिक कम्प्यूटर यूज करने वालों को इसके इस्तेमाल से पहले यह ध्यान से देख लेना चाहिए कि सीपीयू या कनेक्टर में कहीं हार्डवेयर कीलौगर तो नहीं लगा है। अगर यह डिवाइस लगा है तो या उस सिस्टम का इस्तेमाल न करें या फिर डिवाइस को निकालकर इंटरनेट यूज करें।
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